10 जनवरी को नर्मदा परिक्रमा यात्रा देडतलाई से होकर निकली 54 पदयात्री जिसमें युवाओं के साथ-साथ 82 वर्ष तक के बुजुर्ग भक्त भी शामिल है
देढ़तलाई//मुजफ्फर शाह की रिपोर्ट//इतिहास में तीसरी बार उद्गम से संगम एवं संगम से उद्गम तक सम्पूर्ण परिक्रमा पदयात्रा गंगा के स्नान से, यमुना के जलपान से, नर्मदा के दर्शन से जितना पुण्य मिलता है उतना पुण्य केवल सूर्यपुत्री आदि गंगा माँ तापी के स्मरण मात्र से मिलता है। सूर्यपुत्री माँ तापी कृपा से हम सभी तापी-सूर्य नगरी एवं तटवासियो का भरण-पोषण सहित वैभव, समृद्धि प्राप्त हो रही है। हम भाग्यशाली है जिन्हें माँ तापी के सानिध्य में जीवन-यापन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ क्योंकि माँ तापी स्वयं जल की देवी है,
जो प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष समस्त जीवों पर कृपा करके, हमारे जीवन में सभी प्रकार के ताप व कष्ट दूर कर, हमें सुखमय निरोगी जीवन प्रदान करती है। ये कहना है पदयात्रा संयोजक 56 वर्षीय राजू पाटणकर का जो 39 वर्ष की आयु से परिक्रमा कर रहे है। मां ताप्ती संपूर्ण परिक्रमा यात्रा 2 जनवरी को सुबह उद्गम स्थल मुलताई से निकली यात्रा में नदी के तट पर बसे गांव गांव जाकर महिमा का बखान कर लोगों को जागरुक कर रहे हैं। यात्रा का चौथा वर्ष है 10 जनवरी को यात्रा देडतलाई से होकर निकली 54 पदयात्री जिसमें युवाओं के साथ-साथ 82 वर्ष तक के बुजुर्ग भक्त भी शामिल है। यात्रा में शामिल रूपलाल साहू 63 वर्ष, सुनेरी यादव 82 वर्ष, भगवान बविस्कर, पुनाजी यादव 65 वर्ष सुखवान जंगल के आश्रम में पिछले 14 वर्षों से सन्यासी के रूप में जीवन व्यतीत कर लोगो को ताप्ती महिमा बता कर जागरूक कर रहे हैं। पदयात्रियों ने बताया कि इस पदयात्रा के पहले 13 वर्ष तक ताप्ती दर्शन यात्रा चाली पिछले 4 वर्षों से ताप्ती संपूर्ण परिक्रमा पदयात्रा शुरू की है इन्होंने बताया जल ही जीवन है भौतिक संसाधन बढ़ते जा रहे हैं वैसे-वैसे नदियों का और भूमिगत जल स्रोतों का जल स्तर उत्तर रहा है। नदियों को बचाने के लिए नदियों में चल रही अवैध गतिविधियों पर रोक लगनी चाहिए मानव जाती को नदियों को ईश्वर मानकर इनकी पूजा करनी चाहिए तभी इसका महत्व समझ आएगा माँ तापी सुरक्षित रहेगी। जागरुकता जरूरी है अभी तो हर व्यक्ति माँ तापी का दोहन कर रहा है यह दोहन बंद होना चाहिए।
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