A description of my image rashtriya news पूर्व प्रधान मंत्री अटल जी की जयंती पर, क़ौमी एकता पर कवि सम्मेलन एवं मुशायरा संपन्न, कवि और शायरों ने हिंदू, मुस्लिम भाईचारे पर एक से बढ़कर एक प्रस्तुति दी। - Rashtriya News Khabre Desh Prdesh Ki

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पूर्व प्रधान मंत्री अटल जी की जयंती पर, क़ौमी एकता पर कवि सम्मेलन एवं मुशायरा संपन्न, कवि और शायरों ने हिंदू, मुस्लिम भाईचारे पर एक से बढ़कर एक प्रस्तुति दी।

पूर्व प्रधान मंत्री अटल जी की जयंती पर, क़ौमी एकता पर कवि सम्मेलन एवं मुशायरा संपन्न, कवि और शायरों ने हिंदू, मुस्लिम भाईचारे पर एक से बढ़कर एक प्रस्तुति दी।
 
बुरहानपुर। हिंदू, मुस्लिम एकता को कायम रखने के उद्देश्य से वनमाली सृजन केंद्र द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई जी की जयंती पर कवि सम्मेलन एवं मुशायरे का आयोजन डॉ. रमेशचंद्र शर्मा के निवास पर संपन्न हुआ। सर्व प्रथम मां सरस्वती के तेलचित्र पर माल्या अर्पण कर दीप प्रज्ज्वलित किया गया, तत्पश्चात् कार्यक्रम का शुभारंभ कवि संतोष परिहार द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से किया गया। कार्यक्रम अध्यक्ष कवि संतोष परिहार ने कहा कि कौमी एकता पर यह कार्यक्रम किया गया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की भाजपा जिला अध्यक्ष मनोज लधवे ने अपने उद्बोधन में अटल बिहारी वाजपेई के जीवन पर प्रकाश डाला, और बुरहानपुर में बनी अलट जी की समाधि स्थल के बारे में जानकारी दी। विशेष अतिथि के रूप में शामिल हुए सशक्त पत्रकार समिति के प्रदेश अध्यक्ष उमेश जंगाले ने क़ौमी एकता के इस कार्यक्रम को वर्तमान समय की आवश्यकता बताई। वहीं काव्य पाठ की शुरुआत कवियत्री प्रेमलता सांकले द्वारा -"राही तू आगे चल" कविता से हुई । इसी कड़ी में शायर जहीर अनवर ने -"कब मैंने कहा तुझसे, ज़ीने की दुआं दे" प्रस्तुत की, कवियत्री सुनंदा वानखेड़े ने -" कभी सोचा न था, जिंदगी यूं कलम बन जाएगी" कविता का पाठ किया। प्रकाश खैरनार ने -" तिरंगा है आन बान शान, शहीदों के प्राण" कविता, शायर आलम नस्तरी ने -" कर्जजदा क़ौम बातें कम बना" ग़ज़ल प्रस्तुत कर श्रोताओं की दादबटोरी। डॉ. रमेशचंद्र शर्मा धुआंधार ने "दरिया हूं संमदर मैं कभी हो नहीं सकता" कविता का पाठ किया। हास्य कवि वैभव घोड़पे ने हास्य श्रणिकाएं प्रस्तुत की, ख्यातनाम शायर शऊर आसना ने अपनी गजल" चलने वाले को बस रास्ता चाहिए" प्रस्तुत कर कार्यक्रम को नई ऊंचाई प्रदान की, संतोष परिहार द्वारा-" बदला युग है बदला हर नजारा है" ग़ज़ल प्रस्तुत की गई। संदीप शर्मा निर्मल द्वारा -"मौत तो बेजुबान होती हैं, जिंदगी ही बयान होती हैं" ग़ज़ल प्रस्तुत की गई। प्रसिद्ध शायर कमरूद्दीन फलक-" भोले-भाले दिल वालों की एक बस्ती छोटी सी" एवं डॉ. जलीलउर रहमान हासमी -" अपने जलवे नज़र में रहने दें, बात घर की है घर में रहने दें " ग़ज़ल प्रस्तुत की गई। कार्यक्रम के प्रथम सत्र का संचालन अनिल मिश्रा क्रांति, एवं कवि सम्मेलन एवं मुशायरे का संचालन संदीप शर्मा निर्मल ने किया। वहीं डॉ. रमेशचंद्र शर्मा धुआंधार ने आभार माना। इस अवसर पर शहर के प्रसिद्ध कवि एवं शायर बडी संख्या में मौजूद रहें।

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