बुराहनपुर जिला प्रशासन की ठोस कार्यवाही: माधुरी बेन को किया जिला बदर माधुरी बेन द्वारा जिला बदर की कार्यवाही के खिलाफ उच्च न्यायालय में लगाई गई याचिका खारिज
बुराहनपुर जिला प्रशासन की ठोस कार्यवाही: माधुरी बेन को किया जिला बदर माधुरी बेन द्वारा जिला बदर की कार्यवाही के खिलाफ उच्च न्यायालय में लगाई गई याचिका खारिज
दिनाँक 07/07/2023 को जिला दंडाधिकारी महोदय बुरहानपुर द्वारा माधुरी बेन के खिलाफ जिला बुरहानपुर की प्राकृतिक वनसम्पदा और जिले में शांति व्यवस्था भंग करने के अपराध में वन विभाग द्वारा भेजे गए जिला बदर के आवेदन पर राज्य सुरक्षा कानून के तहत जिलाबदर का आदेश पारित किया गया।
माधुरी बेन द्वारा जिला बदर की कार्यवाही के विरुद्ध उच्च न्यायालय जबलपुर में याचिका लगाई थी जिसे माननीय उच्च न्यायालय द्वारा खारिज करते हुए माधुरी बेन के खिलाफ आदेश पारित किया एवं कलेक्टर बुरहानपुर द्वारा की जा रही कार्रवाई को प्रदेश के हित में बताया।
उक्त कार्यवाही के तहत माधुरी बेन के खिलाफ 12 साक्ष्यों के बयान और उनके प्रतिपरीक्षण 21 घंटे तक हुए। जिसमें 6 किसान/ मजदूरों द्वारा माधुरी बेन के खिलाफ बयान में बताया गया कि माधुरी बेन द्वारा मकोडिया, गाड़ाघाट, गोलखेड़ा और अन्य कई वन क्षेत्रों में अलग अलग स्थान पर अलग अलग जगह भाषण देते हुए देखा गया जिसमें माधुरी बेन लोगों को अतिक्रमण के लिए उकसाती थी और कहती थी कि कटाई करो और ट्रेक्टर एवं हल से जुताई करो और मकान बनाकर रहो, स्कूल खोलो, बच्चों को पढ़ाओ 5 साल तक रहो। फारेस्ट वाले तुम्हारे नौकर है। हम तुम्हें पट्टा दिलाएंगे। वन कटाई करने वाले माधुरी बेन से दिलीप गेंदालाल निवासी चैनपुरा के घर पर संपर्क करते थे, और वह अवैध कटाई की सलाह देती थी। माधुरी बेन से अपने बयानों के लिए 6 घंटे तक विभाग की ओर से सवाल जवाब हुए।
माधुरी बेन द्वारा दोहरा चरित्र अपनाते हुए एक ओर डीएफओ, कलेक्टर और एस पी बुरहानपुर को अवैध कटाई की सूचना के संबंध में मैसेज करती थी और हिंसा और प्रतिहिंसा के बारे में बताती थी। जिससे कि उन पर कोई शक ना हो। वहीं दूसरी ओर गुप चुप तरीके से वनक्षेत्रों में मीटिंग करके लोगों को अवैध कटाई के लिए उकसाती थी। इस प्रकार वन अधिकार अधिनियम 2006 की धारा 4(5) के दुरुपयोग के संबंध में लोगों को उकसाती थी। वह बोलती थी कि अतिक्रमण करो, दावा लगाओ, जब तक निराकरण नहीं होगा वन विभाग वाले तुम्हारा कुछ नही कर पाएंगे।
एक व्यक्ति ने अपने बयान में बताया कि माधुरी बेन ने संगठन के माध्यम से पट्टा दिलवाने के लिए ₹15000 लिए थे। जबकि जागृत आदिवासी दलित संगठन ना ही कोई ट्रस्ट है और ना ही कोई रजिस्टर्ड सोसाइटी है। देश और विदेश कहीं पर भी किसी प्रकार का पंजीयन नहीं है, फिर भी सदस्यों से सदस्यता शुल्क ₹100 से ₹200 तक लेती थी। पैसे का क्या होता है, इसका कोई हिसाब नहीं। जब से माधुरी बेन जिले में सक्रिय हुई है तब से लगभग 10 हजार हेक्टेयर जंगल को अतिक्रमण के उद्देश्य से काटा गया है। जो कि सैटेलाइट इमेज में भी दिखाई देता है। माधुरी बेन के खिलाफ अतिक्रमण के लिए उकसाने हेतु दुष्प्रेरण के 21 प्रकरण वन विभाग ने दर्ज किए।
विदित है कि बुरहानपुर जिले की नावरा रेंज में लगभग 2500 हेक्टेयर वनक्षेत्र में अवैध कटाई की गई, जिसमें लगभग 1 लाख पेड़ काटे गए, जिसमें वन विभाग ने अभी तक लगभग 50 करोड़ की लकड़ी जब्त की है। अतिक्रमणकारियों ने कुछ लकड़ी को जलाया भी, जिसे भी वन विभाग द्वारा संज्ञान में लिया गया है।
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