गम की आड़ में और खुशी की जुगाड़ मैं बैठकर रसपान करने वालों की दुकानें 1 अप्रैल से बंद.
गम की आड़ में और खुशी की जुगाड़ मैं बैठकर रसपान करने वालों की दुकानें 1 अप्रैल से बंद........... त्रिलोक जैन की कलम से
प्रदेश में 1 अप्रैल से नई आबकारी नीति लागू होगी जिसके चलते गम की आड़ में और खुशी की जुगाड़ में एंजॉय करने वालों के फजीते होंगे जो लोग अपने संरक्षको से छुपकर अथवा पत्नी से डरकर अहाते में बैठकर आनंद लेते थे अब उनके गम में सहभागिता निभाएंगे शहर के सुनसान पड़े मैदान एवं यातायात मैं कम दबाव वाले रोड जहां रात्रि में तमस (अंधेरा) उनकी आहते की भूमिका में रहेगा और चखने में मिलेगी थाना क्षेत्र की गालियां और पुलिस के डंडे व पेनल्टी के रूप में नगद मैं आर्थिक दंड इसके साथ साथ आबकारी विभाग की हो जाएगी चांदी उसकी 10 उंगलियां घी में रहेगी सड़क किनारे एवं कोने कापरो बने ढाबों पर जमकर छलकेगे प्याले अब पुलिस के साथ-साथ आबकारी की भी बढ़ जाएगी जिम्मेदारी एवं इधर उधर बैठकर पीने वाले मयकदे को अपना बजट बढ़ाते हुए नगदी अधिक जेब में रखना पड़ेगी क्योंकि कब कहां दविश पड़े और आर्थिक दंड भरना पड़े। अंतिम 5 दिन बाकी आहतों के देखो आगे होता है क्या❓
कोई टिप्पणी नहीं