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भगवान शिव की भक्ति स्वार्थ और लालच से नही निश्छल निर्मल मन से करे ग्राम बोदरली में सात दिवसीय शिव महापुराण कथा के चौथे दिन कथावाचक पंडित ललित किशोर जी दाधीच ने कहा अपना मूल्य समझो और विश्वास करो


बुरहानपुर//भगवान शिव की भक्ति स्वार्थ और लालच से नही निश्छल निर्मल मन से करे  ग्राम बोदरली में सात दिवसीय शिव महापुराण कथा के चौथे दिन कथावाचक पंडित ललित किशोर जी दाधीच ने कहा अपना मूल्य समझो और विश्वास करो कि तुम संसार के सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति हो और महत्वपूर्ण कार्य करने के लिए मानव तन मिला है इसे पशु तुल्य जीवन जीकर व्यर्थ ना गवाओ। कथावाचक पंडित ललित किशोर जी दाधीच ने  बताया भगवान शिव की भक्ति स्वार्थ और लालच से ना करें भगवान शिव की भक्ति निर्मल मन से करने से शिव की कृपा प्राप्ति होगी।उन्नति के चार चरण है समझदारी इमानदारी जिम्मेदारी बहादुरी ए विभूतियां ऐसी है जिनका सदुपयोग सुनियोजन कर हर व्यक्ति प्रगति की दिशा में आगे बढ़ता रह सकता है समझदारी सौभाग्य का प्रवेश द्वार है तो बेवकूफी दुर्भाग्य का। मनुष्य का जैसा दृष्टिकोण होता है वह दूसरों के प्रति जैसा सोचता है उसी के अनुसार उसके विचार होते हैं और इनके फलस्वरूप वैसा ही वातावरण और परिस्थितियां प्राप्त कर लेता है जो जैसा सोचता है करता है वह वैसा ही बन जाता है मनुष्य गुण कर्म स्वभाव में आवश्यक सुधार किए बिना प्रगति नहीं हो सकती है हमारे जीवन में बाधक बन रही है दुर्व्यसन,अहंकार एवं ईर्ष्या,क्रोध आलस्य इन शत्रुओं से बचे और सफलता प्राप्त करने में परिश्रम पुरुषार्थ आत्मविश्वास स्नेह सहानुभूति साहस एवं नियमितता और प्रसन्नता एवं मानसिक संतुलन विनम्रता विवेक इन गुणों को धारण करने से शिवत्व की प्राप्ति होगी। 

कथावाचक ने कहा शरीर को भगवान का मंदिर समझकर आत्मसंयम और नियमितता द्वारा आरोग्य की रक्षा करें मन को कु विचारों और दुर्भावना से बचाए रखने के लिए सत साहित्य का स्वाध्याय करें इंद्रिय संयम अर्थ संयम समय संयम और विचार संयम का सतत अभ्यास करें मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता स्वयं है वह चाहे तो नर से नारायण बन सकता है कथा के समापन के पश्चात शिव महापुराण कथा के आयोजक मधुकर महाजन रविंद्र महाजन अरुण महाजन सुभाष महाजन ने और कथावाचक ललित किशोर जी दाधीच ने पर्यावरण संरक्षण हेतु बरगद पीपल नीम आम बेलपत्र का पौधा पर्यावरण प्रेमियों के साथ मोहना बलडी बोदरली पर रोपण किया।

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