गुरु गोविंद सिंह जी के वीर सपूतों ने हिंदू सनातन धर्म संस्कृति की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। या और भी ऐसे वीर सपूत और गुरु रहे हैं जिन्होंने बलिदान और त्याग दिया। ऐसे गुरुओं के वीर सपूतों के नाम पर बाल दिवस मनाया जाना चाहिए,14 नवंबर को बाल दिवस मनाने का कोई मूल्य नहीं बनता
बाल दिवस
अभी कल ही पूछा है एक मित्र ने, गुरु जी आपने कभी बाल दिवस के बारे में कुछ नहीं लिखा। सत्य प्रकाश दीवान जैसलमेर राजस्थान
14 नवंबर को बाल दिवस मनाने का कोई मूल्य नहीं बनता। जवाहरलाल नेहरू को छोटे बच्चे अच्छे लगते थे, उनको छोटे बच्चों से प्यार था, इसीलिए ही बाल दिवस मनाया जाता है, यह तो कोई बात नहीं हुई।*
इसका मतलब तो यह हुआ कि किसी भी देश के प्रधानमंत्री को जो बात या वस्तु अच्छी लगे उसके लिए एक विशेष दिन मनाएं। किसी देश के मुखिया को बकरी का दूध पसंद थी तो उस दिन बकरी दिवस मनाया जाए। किसी प्रधानमंत्री को कुत्तों से प्यार हो या यात्राओं का शौक हो या फोटोग्राफी का शौक हो या अन्य किसी वस्तु से प्यार हो तो क्या उस दिन यात्रा दिवस या फोटो दिवस, कुत्ता दिवस मनाया जाए।
ऐसा नहीं होना चाहिए। मेरा मानना है कि किसी भी प्रकार का दिवस मनाने के लिए उस दिन की, उस देश के लिए कोई खास उपलब्धि होनी चाहिए। बलिदान या त्याग होना चाहिए।
फोटो गूगल के सौजन्य से
जैसे गुरु गोविंद सिंह जी के वीर सपूतों ने हिंदू सनातन धर्म संस्कृति की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। या और भी ऐसे वीर सपूत और गुरु रहे हैं जिन्होंने बलिदान और त्याग दिया। ऐसे गुरुओं के वीर सपूतों के नाम पर बाल दिवस मनाया जाना चाहिए।।*
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