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तकलीफ या मुसीबत में देखकर किसी की मदद करना दुनिया का सबसे बड़ा अनमोल तोहफा है इंसान और शैतान के बीच में फर्क

तकलीफ या मुसीबत में देखकर  किसी की मदद करना दुनिया का सबसे बड़ा अनमोल तोहफा है
      इंसान और शैतान के बीच में फर्क सिर्फ अच्छे और नेक कामों का है  इंसान भलाई के लिए  नेक काम करता है  और शैतान बुराई वाले कार्य   करता
है
महाराष्ट्र प्रतिनिधि शाहरुख शेख 

 है  जरा इस तस्वीर को गौर से देखिए  यह तस्वीर अपने आप में बहुत कुछ बयां करती है  इस तस्वीर  मैं   एक gid द् परिंदा है  और एक  मासूम भूखी बच्ची है जो मरने के करीब है  वह गिd उस भूखी मासूम बच्ची के मरने की प्रतीक्षा कर रहा है  ताकि उसे नोच नोच कर खा जाए  यह तस्वीर दक्षिण अफ्रीकी  फोटो जर्नलिस्ट केविन कार्टर ने  1993 में सूडान में सूखा पड़ने के दौरान खींची थी  यह तस्वीर दुनिया में इतनी मशहूर और फेमस हो गई के  उन्हें इस तस्वीर की वजह से पू pulitezer prize अवार्ड से सम्मानित किया गया  लेकिन कार्टर ज्यादा दिन तक जिंदा नहीं रहा   क्योंकि उसने डिप्रेशन के मारे आत्महत्या कर ली। ऐसा क्यों हुआ
   दरअसल  जब वह  इस अवार्ड के पाने का  जश्न मना रहा था तो सारी दुनिया की मीडिया चैनल पर  उसका जिक्र था उसकी  शोहरत रातों-रात आम हो गई  तभी वह वाक्य हुआ जिसकी वजह डिप्रेशन का  शिकार होकर  कार टरने खुदकुशी कर ली हुआ यूके एक इंटरव्यू में किसी ने  कार्टर्न से पूछ लिया कि आपने तस्वीर तो बहुत जबरदस्त ली  लेकिन यह बताएं कि उस मासूम बच्ची का क्या हुआ  कारटर यह सवाल सुनकर  सुन रह गया फिर उसने संभल कर जवाब दिया  कि यह देखने के लिए वह नहीं सका  क्योंकि उसे फ्लाइट पकड़नी थी  यह जवाब सुनकर सवाल पूछने वाले ने कहा कि फिर उस दिन वहां  बच्चे की जान लेने वाले दो gidध थे  जिनमें से एक के हाथ में कैमरा  था  उस घटना ने   क्वार्टर पर  इतना गहरा असर डाला कि वह डिप्रेशन में चला गया  और आखिर में आत्महत्या कर अपने जीवन को समाप्त कर दिया  किसी भी काम में सबसे पहले इंसानियत को सर्वप्रथम रखना चाहिए 
  क्वार्टर आज जिंदा होते  अगर वह  भूख की शिकार मासूम बच्ची को  यूनाइटेड नेशन के  फंडिंग सेंटर तक पहुंचा देते  जहां वह मासूम बच्ची पहुंचने की मुश्किल कोशिश कर रही थी  आजकल लोग जब  हादसा दुर्घटना होती है तो  फौरन अपने मोबाइल पर हाथ जाता है  वह फोन से किसी एंबुलेंस वगैरह की मदद  की गुहार नहीं लगाते  बल के जख्मों से  दर्द के मारे क परेशान तड़पते और मरते लोगों की तस्वीर या वीडियो लेने या बनाने लग जाते हैं  ताकि उसे फेसबुक या व्हाट्सएप के माध्यम से सारी दुनिया में फैला सकें  और  सुर्खियां और  वाह वाह हासिल कर सके  यह गलत बात है हमें इंसानियत को सामने रखकर  मदद के लिए हाथ बढ़ाना हुआ था कि इंसानियत हमदर्दी जीवित रह सके

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