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मसाला फसलों के उत्पादन में भी बुरहानपुर ने अलग स्थान बनाया है-मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान


बुरहानपुर में राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन, 14 मार्च को भी देशभर से आए वैज्ञानिक एवं विषय विशेषज्ञ किसानों से होंगे रूबरू*

बुरहानपुर। रविवार को फसल विविधीकरण अंतर्गत मसाला फसलों के उत्पादन, प्रसंस्करण एवं प्राकृतिक खेती के प्रोत्साहन हेतु राष्ट्रीय कार्यशाला का मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान ने भोपाल से वी.सी. के माध्यम से शुभारंभ किया। कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को सांसद श्री ज्ञानेष्वर पाटिल, भाजपा प्रदेश प्रवक्ता एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस (दीदी), जिला पंचायत अध्यक्ष प्रतिनिधि श्री राजाराम पाटीदार एवं कलेक्टर प्रवीणसिंह ने संबोधित किया। कार्यशाला के उद्घाटन अवसर पर जनपद पंचायत अध्यक्ष किशोर पाटिल, जिला पंचायत स्थायी कृषि समिति अध्यक्ष गुलचंद्रसिंह बर्ने, जिला संगठन प्रभारी इकबालसिंह गांधी, भाजपा जिलाध्यक्ष मनोज लधवे, विजय गुप्ता, जिला पंचायत सदस्य कैलाष यावतकर, श्रवण राठौर, अशोक पाटिल एवं अनिल भोंसले सहित अन्य जनप्रतिनिधियों सहित जिलेभर के कृषकगण उपस्थित रहे। कार्यषाला का उद्घाटन भारत माता, देवी सरस्वती एवं भगवान बलराम के चित्र पर माल्यार्पण, दीप प्रज्वलित एवं कन्या पूजन कर किया गया। इस अवसर पर विभिन्न विभागों द्वारा कृषि प्रदर्षनी भी लगाई गई। जिसमें किसानों को शासकीय योजनाओं एवं तकनीकी के बार में विस्तृत जानकारी प्रदान की जा रही है। ज्ञात हो कि इस दो दिवसीय कार्यशाला में 600 से अधिक कृषकों ने अपना पंजीयन कराकर सम्मिलित हो रहे है।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश कृषि के क्षेत्र में नित नये रिकॉर्ड स्थापित कर रहा है। आपको यह बताते हुए मुझे खुशी हो रही है कि करंट प्राइजेज पर इस साल मध्यप्रदेश की विकास दर हिंदुस्तान के राज्यों में सबसे ज्यादा 19.7 प्रतिशत है। इसमें सबसे बड़ा योगदान कृषि का है। हमने कोविड-19 की चुनौतियों के बीच इस साल अद्भुत विकास दर हासिल की है। सिंचाई की सुविधाओं का हमने लगातार विस्तार किया है। कभी साढ़े सात लाख हेक्टेयर में सिंचाई होती थी, अब 43 लाख हेक्टेयर तक कर रहे हैं और इसे बढ़ाकर 65 लाख हेक्टेयर तक ले जाएंगे। गेहूं के उत्पादन में आज मध्यप्रदेश हिन्दुस्तान में नंबर एक पर पहुंच गया है, पंजाब तक को हमने पीछे छोड़ दिया है। बुरहानपुर जिला नकदी फसलें लेने वाला जिला है। हमारे परिश्रमशील किसानों की मेहनत का जवाब नहीं है। 
मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने कहा कि बुरहानपुर के हमारे किसानों ने अपनी मेहनत से कई रिकॉर्ड कायम किए हैं। केला बुरहानपुर की पहचान है। बुरहानपुर कपास के लिए भी जाना जाता है। यह सब संभव हुआ, क्योंकि आप टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हैं और नवीनतम विधियों को भी अंगीकृत करते हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने यह बात बार-बार कही कि फसलों का विविधिकरण करो, केवल परंपरागत फसलें नहीं, फलों की खेती, फूलों की, मसालों की खेती भी जरूरी है। मुझे खुशी है कि मसाला फसलों के उत्पादन में भी बुरहानपुर ने अलग स्थान बनाया है। बुरहानपुर में हल्दी, अदरक, धनिया, प्याज विपुल मात्रा में उत्पादन हो रहा है। जिस गति से बुरहानपुर में मसाला फसलों का उत्पादन हो रहा है, तो हम जल्द ही इसका प्रोसेस कर देश और विदेश में भी एक्सपोर्ट कर सकेंगे। 
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने किसानों से आग्रह करते हुए कहा कि हम धीरे-धीरे प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ें, ताकि हमारी धरती के साथ-साथ मनुष्य भी स्वस्थ रह सके। गाय, गौमूत्र के उपयोग से बनने वाले कीटनाशक का उपयोग कर हम केमिकल कीटनाशकों के दुष्प्रभाव से फसलों को बचा सकते हैं। 
इस अवसर पर भाजपा प्रदेश प्रवक्ता एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस (दीदी) ने आयोजित फसल विविधीकरण अंतर्गत मसाला फसलों के उत्पादन, प्रसंस्करण एवं प्राकृतिक खेती के प्रोत्साहन हेतु राष्ट्रीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में उपस्थितजनों को संबोधित कर कार्यशाला के उद्देश्यों से अवगत कराया। श्रीमती चिटनिस ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी एवं हमारे आदरणीय मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान जी प्रदेश के किसानों की आय बढ़ाने हेतु फसल विविधीकरण अंतर्गत मसाला फसलों के उत्पादन, प्रसंस्करण एवं प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन देने का कार्य कर रहे हैं। हमारे बुरहानपुर जिले में मसाला फसलों की ओर कृषकों का रूझान बढ़ा है तथा इसका क्षेत्रफल 4252 हेक्टेयर हो गया है। निश्चित रूप से हम मसालों की खेती में अग्रणी भूमिका निभा सकते हैं। यह राष्ट्रीय कार्यशाला इसी उद्देश्य के साथ आयोजित की गई हैं कि हम विभिन्न विषय विशेषज्ञों से मसालों की खेती एवं फसलों के प्रसंस्करण पर मार्गदर्शन प्राप्त कर सकें।
पूर्व मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के फसल विविधीकरण के आव्हान पर अमल कर किसानों के जीवन में समृद्धि ‘‘आत्मनिर्भर भारत‘‘ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। मा.मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान जी भी मा.प्रधानमंत्री जी के आव्हान को मध्यप्रदेश में बढ़ावा देने के लिए संकल्पित है। बुरहानपुर जिले का किसान निरंतर गिरते जल स्तर को दृष्टिगत रखते हुए तथा मौसम की प्रतिकुलता, उत्पादन एवं भाव की अनियमितता के चलते विगत वर्षों से केला, गन्ना एवं कपास की वैकिल्पक फसल ढूंढने का प्रयास कर रहा है। मसाला फसलों के अंतर्गत हल्दी, अदरक, लहसुन, प्याज, अजवाईन, मिर्च एवं सौफ जैसी फसलों का रकबा बढ़ रहा है। किन्तु इन फसलों में उन्नत किस्म का बीज, प्रसंस्करण की जानकारी तथा बाजार व्यवस्था को सुदृढ़ करने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए फसल विविधीकरण एवं प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन देने के लिए मसाला फसलों पर देशभर से आए वैज्ञानिकों एवं विषय विशेषज्ञों ने विस्तृत जानकारी दी और चर्चा की। कार्यशाला में उत्पादन विपणन की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए क्रेता-विक्रेता (बॉयर सेलर मीट) कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग एवं एक्सपोर्ट के लिए कृषकों को प्लेटफार्म उपलब्ध कराया जा रहा है। 

*फसल विविधीकरण अंतर्गत मसाला फसलों के उत्पादन, प्रसंस्करण एवं प्राकृतिक खेती के प्रोत्साहन पर जानकारी, अनुभव किए साझा*
राष्ट्रीय बीजीय मसाला अनुसंधान केन्द्र अजमेर के डॉ.एसएन सक्सेना ने मसाला खेती, भारतीय अभियांत्रिकी एवं प्रोद्योगिकी संस्थान लुधियाना के डॉ.संदीप दबंगे ने हल्दी, अदरक, मिर्च, प्याज, ग्वालियर से आए वैज्ञानिक डॉ. आईएस नरुका ने मसाला फसलों एवं खंडवा उद्यानिकी के सहायक संचालक राजू बड़वाया ने प्याज की खेती पर विस्तृत जानकारी प्रदान की। वहीं देशभर से आए वैज्ञानिकों एवं विषय विशेषज्ञों द्वारा बुरहानपुर जिले के विभिन्न गांवों का भ्रमण एवं कृषि भूमि, मसाला फसलें तथा वातावरण के अध्ययन के बारे में डी.के.वाणी ने विस्तृत जानकारी उपस्थितजनों के समक्ष प्रस्तुत की। वहीं डॉ. विष्वकर्मा ने फसल चक्र एवं विज्ञान केंद्र खरगोन से डॉ. आरके सिंह ने मिर्च की खेती पर, कृषि विज्ञान केन्द्र रतलाम के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.सर्वेश त्रिपाठी ने प्राकृति खेती पर तथा विभिन्न जिलों से आए कृषकों ने भी फसल विविधीकरण अंतर्गत मसाला फसलों के उत्पादन, प्रसंस्करण एवं प्राकृतिक खेती के प्रोत्साहन पर चर्चा कर विस्तृत जानकारी दी और अपने अनुभव उपस्थितजनों के बीच रखे। वैज्ञानिकों एवं विषय विशेषज्ञों ने किसानों द्वारा किए गए प्रश्नों का उत्तर दिया।

*देशभर से आए वैज्ञानिकों एवं विषय विशेषज्ञों ने खेतों में जाकर कृषि भूमि, मसाला फसलें तथा वातावरण का किया अध्ययन*
12 मार्च को जिले में विभिन्न अनुसंधान संस्थानों से पधारे वैज्ञानिकों एवं विषय विशेषज्ञों द्वारा बुरहानपुर जिले के अलग-अलग ग्रामों में जाकर किसानों से रूबरू हुए। विभिन्न दलों ने जिले की कृषि भूमि व मसाला फसलें तथा वातावरण का अध्ययन कर धनिया एवं अजवाईन फसल के लिए ग्राम गुलई, सिंधखेड़ा एवं जम्बुपानी में अनुसंधान राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर सहायक के निदेशक डॉ.आई.एस. नरुका, कृषि विज्ञान केंद्र नीमच के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.श्यामसिंह, कृषि विज्ञान केंद्र बुरहानपुर के वैज्ञानिक कार्तिकेय सिंह, हल्दी फसल के लिए ग्राम फोफनार एवं नाचनखेड़ा में कृषि विज्ञान केंद्र बुरहानपुर के वैज्ञानिक श्रीमती मेघा विभुते, श्रीमती मोनिका जायसवाल, मिर्च फसल के लिए कृषि विज्ञान केंद्र खरगोन के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आर.के.सिंह, अदरक फसल के लिए कृषि विज्ञान केंद्र बुरहानपुर राहुल सातारकर एवं अन्य जिले टीकमगढ़, शहडोल तथा बदनावर, धार से आए प्रगतिशील कृषकों, कृषि एवं उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों द्वारा भ्रमण किया गया।

*14 मार्च को भी देशभर से आए वैज्ञानिक एवं विषय विशेषज्ञ, किसानों से होंगे रूबरू*
राष्ट्रीय कार्यशाला के द्वितीय दिवस 14 मार्च को देशभर से आए कृषि वैज्ञानिक एवं विषय विशेषज्ञ किसानों से रूबरू होंगे। उन्हें फसल विविधीकरण अंतर्गत मसाला फसलों के उत्पादन, प्रसंस्करण एवं प्राकृतिक खेती के संबंध में विस्तारपूर्वक जानकारी देंगे। कार्यशाला में मुख्य रूप से भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नईदिल्ली, राष्ट्रीय बीजीय मसाला अनुसंधान केन्द्र अजमेर, राष्ट्रीय बागवानी प्रतिष्ठान (प्याज, लहसुन) पुणे, भारतीय मसाला अनुसंधान (हल्दी, अदरक) कालीकट, भारतीय उद्यानिकी अनुसंधान संस्थान बैंगलुरू, केन्द्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान भोपाल, भारतीय अभियांत्रिकी एवं प्रोद्योगिकी संस्थान लुधियाना, कृषि उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा), मंडी बोर्ड भोपाल, निफ्टम-राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमशीलता एवं प्रबंधन संस्थान सोनीपत तथा नियाम-चौधरी चरणसिंह राष्ट्रीय कृषि बाजार संस्थान, जयपुर इत्यादि संस्थाओं के वैज्ञानिक एवं सलाहकार उपस्थित रहेंगे।

दिनांक:- 13 मार्च 2022
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