अपराजेय योद्धा बाजीराव पेशवा की 281 वर्ष प्राचीन समाधि दक्षिण नर्मदा तट पर स्थित ग्राम रावेर खेड़ी (सनावद) जिला खरगोन में मध्यप्रदेश की पूर्व कैबिनेट मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस (दीदी) ने पार्टी पदाधिकारियों-कार्यकर्ताओं के साथ जाकर समाधि के दर्शन किए।
एक वीर योद्धा "पेशवा बाजीराव प्रथम"
जिनके बारे में कहा जाता है.....
चिते की चाल,बाज की नजर और बाजीराव की तलवार पर
कभी संदेह नहीं करते.....
अपराजेय योद्धा बाजीराव पेशवा की 281 वर्ष प्राचीन समाधि दक्षिण नर्मदा तट पर स्थित ग्राम रावेर खेड़ी (सनावद) जिला खरगोन में मध्यप्रदेश की पूर्व कैबिनेट मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस (दीदी) ने पार्टी पदाधिकारियों-कार्यकर्ताओं के साथ जाकर समाधि के दर्शन किए।
मां नर्मदा के तट पर स्थित रावेरखेड़ी जिला खरगोन में "बाजीराव पेशवा की
समाधि स्थित है"
रावेरखेड़ी एक छोटा सा गांव है, लेकिन यहां की संरचना इतनी
सुंदर है,जो हमें सबसे शक्तिशाली मराठा शासक की याद
दिलाती है।
बाजीराव प्रथम (18 अगस्त 1700 - 28 अप्रैल 1970) एक
प्रसिद्ध भारतीय सेनानायक थे,जो 1720 से चतुर्थ मराठा
छत्रपति शाहू जी के पेशवा रहे।
वे बालाजी विश्वनाथ के पुत्र थे। उन्हें बाजीराव बल्लाल भी कहा
जाता था।
भाट वंश के 9 पेशवाओं में सबसे प्रभावशाली बाजीराव ने
मराठा राज्य के विस्तार में,विशेषत: उत्तर में निर्णायक भूमिका
निभाई थी।
उन्होंने मालवा,गुजरात,निजाम समेत दक्षिणी राज्य,पुर्तगालियों
तथा दिल्ली के सुल्तान की सेना को मात दी थी। गुजरात के गायकवाड, ग्वालियर के शिंदे (सिंधिया), नागपुर के भोंसले, धार के पंवार तथा इंदौर के होल्कर को अधीन कर उन्होंने मराठा संघ का गठन किया था!
उत्तर भारत में एक अभियान के दौरान एक लाख सैनिकों के साथ पश्चिम निमाड़ में नर्मदा तट पर डेरा डाले थे, उसी दौरान ग्रीष्माघात(लू लगने) से 28 अप्रैल 1740 को 39 वर्ष की आयु में उनका निधन हुआ।
उनकी अंत्येष्टि 28 अप्रैल 1740 को नर्मदा तट पर रावेरखेड़ी में की गई थी।
उनके वफादार सरदार,ग्वालियर के महाराजा सिंधिया ने यहां पर उनकी समाधि बनवाई।
आज विश्व के महानतम योद्धाओं में शुमार इस महापुरुष को
शत-शत नमन.......🙏
#बाजीराव #bajirao
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