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हाटपिपल्या नहर परियोजना का विस्तृत तकनीकी परीक्षण करके शीघ्र दी जाए प्रशासकीय स्वीकृति-पूर्व मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस

बुरहानपुर। प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह जी चौहान द्वारा सैद्धांतिक रूप से स्वीकृत हाटपिपल्या नहर परियोजना का विस्तृत तकनीकी परीक्षण करके प्रशासकीय स्वीकृति के लिए पूर्व मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस (दीदी) ने जल संसाधन मंत्री श्री तुलसीराम सिलावट सहित संबंधित अधिकारियों को पत्र प्रेषित कर चर्चा की तथा इसे शीघ-अतिशीघ्र स्वीकृति प्रदान किए जाने की बात कही।
गत दिनों बागली विधानसभा क्षेत्र के किसानों के प्रतिनिधि मंडल द्वारा श्रीमती चिटनिस से व्यक्तिगत भेंटकर कृषि योग्य पानी की कमी से अवगत कराया गया था। बागली विधानसभा क्षेत्र के 99 गाँव और देवा जिले की हाटपिपल्या विधानसभा के 27 गाँव, कुल 126 गाँव जो कि पूर्ण रूप से खेती किसानी पर निर्भर है। क्षेत्र में जल स्तर 1000-1200 फीट के नीचे पहुंच गया है। क्षेत्र के किसानों की निर्भरता बरसाती जल पर ही हैं इसलिए उनका भविष्य अनिश्चितता के बादलों से घिरा रहता है और आर्थिक स्थिति दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही हैं।
विदित हो कि क्षेत्र से होकर गुजरने वाली आईएसपी-कालीसिंध लींक परियोजना में भी उक्त गाँवों को ना सम्मिलित करके उनके साथ अन्याय हुआ है, किसानों की सिंचाई संबंधित समस्याओं को देखकर किसान पुत्र माननीय मुख्यमंत्री शिवराजसिंह जी चौहान द्वारा संज्ञान लिया गया और उन्होंने हाटपिपलिया माइक्रो उद्धवहन सिचांई परियोजना को सैद्धान्तिक स्वीकृति भी प्रदान की है। उपरोक्त परियोजना को नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण से जल संसाधन विभाग को स्थानांतरित कर किया गया है।
श्रीमती चिटनिस ने प्रेषित पत्र में सिंचाई परियोजना का जल्द से जल्द तकनीकी सर्वेक्षण उपरांत किसान हित में प्रशासकीय स्वीकृति कर चीफ इंजीनियर उज्जैन से बोधी और बोधी से ईएनसी जल संसाधन के पास 15 दिनों में पहुंचाने की बात कही।
पूर्व मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस ने हाटपिपल्या उद्वहन सिंचाई योजना में जो गांव छूट गए है, उन्हें जुड़वाने और योजना की स्वीकृति के साथ कार्य शुरू किए जाने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि किसान का पसीना और नर्मदा का पानी मिलकर मालवा अंचल हराभरा बना रहेगा। सिंचाई के लिए पानी की सुविधा होने से किसान की उप ब़ढ़ेगी। गांव का जीवन स्तर सुधरेगा। युवाओं को आधुनिक खेती करना होगी। क्यांेकि आने वाला समय खेती का ही है। किसान होना गर्व की बात है।

दिनांक:- 20 जून 2021
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