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न्यू भेड़ाघाट जैसे टूरिस्ट प्लेस में सफाई का रोना, सुंदरता से भरे इस हिस्से को भुला दिया

भेड़ाघाट को जैसे अनदेखी की वजह से आज भी पूरी दुनिया में वाजिब पहचान नहीं मिली, वही हाल न्यू भेड़ाघाट का है। नर्मदा का दूसरा किनारा जो असीम सुंदरता लिये हुये है उसको भी पूरी बेरुखी भरे अंदाज में कुछ सालों में जिम्मेदारों ने ठिकाने सा लगा दिया है।

बारिश के बाद बीते सालों में जो तबाह हुआ तो संसाधन जुटाने की कोशिश नहीं हुई और अब तो यह हाल है कि इसके आसपास साफ-सफाई तक ढँग से नहीं हो रही है। टूरिज्म के नये सीजन में अभी यह हाल है कि हर तरफ गंदगी फैली रहती है और देखने वाला कोई नहीं है। इस तट के किनारे छोटी दुकान चलाकर जो अपनी जीविका चला रहे हैं वे ही सफाई कर लेते हैं, नहीं तो सफाई कर्मी तो कहीं दिखाई ही नहीं देते हैं।

सवा लाख साल पुराने जलोदर, मार्बल, एक साथ पाँच झरनों के आनंद के साथ नैसर्गिक सुंदरता से भरा हुआ इलाका देखकर किसी का भी मन प्रसन्न हो सकता है, ऐसे स्थान में भी सफाई लेकिन बड़ी चुनौती बनी हुई है। वैसे तो सामान्य दिनों में भी यहाँ पर सफाई का रोना है, लेकिन जब पर्यटन का सीजन पीक पर होता है उस दौरान यहाँ पर ज्यादा गंदगी नजर आ रही है।

भीड़ बढ़ने के साथ परेशानी भी बढ़ जाती है। जो पर्यटक यहाँ आते हैं वे कहते हैं कि एक बेहतर प्राकृतिक जगह में गंदगी ज्यादा आँखों को चुभती नजर आती है। पर्यटन का ढिंढोरा पीटने वाले, जबलपुर को टूरिस्ट सर्किट से जोड़ने का ख्वाब दिखने वाले यदि थोड़ी सफाई पर ही ध्यान दे दें तो बड़ी बात होगी।

समस्या इस वजह से

भेड़ाघाट नगर परिषद के अधिकारियों का कहना है िक भेड़ाघाट का दूसरा किनारा यानी न्यू भेड़ाघाट, नगर पंचायत के अंतर्गत आता है। उस हिस्से में सफाई कर्मी स्थाई रूप से तैनात नहीं होते हैं। सफाई कर्मी स्थाई रूप से तैनात नहीं होते हैं तो रेग्युलर सफाई उस हिस्से में नहीं हो पाती है।

नगर परिषद के मुख्य अधिकारी एके रावत कहते हैं कि उनके दायरे में न आने के बाद भी वे सफाई कर्मी उस हिस्से में भेजते हैं, ताकि सफाई होती रहे। दावों से अलग जो हाल अभी है उसको देखकर लगता है कि अभी पर्यटकों की जब ज्यादा भीड़ है उस समय ज्यादा अनदेखी की जा रही है।

देखने को बहुत है यहाँ पर

न्यू भेड़ाघाट में भेड़ाघाट के जैसे ही पर्यटकों के लिए देखने के लिए बहुत कुछ है। दूसरे हिस्से को भी नर्मदा ने असीम सुंदरता से नवाजा है। न्यू भेड़ाघाट के हिस्से से एक साथ पाँच झरने दिखाई देते हैं, जो एकदम दूधिया हैं। इससे आगे बढ़ने पर बहते सफेद पानी के साथ खाई नुमा चट्टाने हैं, जलोदर हैं जो लोगों को आकर्षित करते हैं। नर्मदा का प्राकृतिक, शांत वातावरण मन को मोहित करता है। मानवीय हस्तक्षेप न होने से सुंदरता बहुत अधिक है। अनेक दर्शनीय स्थल, पर सब कुछ होते हुये संसाधन बौने हैं।

बने स्थाई व्यवस्था

नानाखेड़ा, इमलिया, डुडवारा, ग्वारी गाँव और आसपास के गाँव के लोगों का कहना है कि इस पूरे इलाके की सफाई के लिए स्थाई कर्मचारी तैनात करना चाहिए। सफाई व्यवस्था की लगातार मानिटरिंग भी होनी चाहिए। पर्यटकों का आना पीक सीजन में ज्यादा होता है, उन हालातों में ज्यादा कचरा एकत्रित होता है। यदि सफाई होती रहेगी तो तट के किनारे गंदगी भी नहीं होगी। जो पर्यटक आते हैं उनको बेहतर सुविधा मिलने से इनकी संख्या में इजाफा होगा और इससे सभी का भला हाे सकता है।



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तस्वीर किसी सीनरी से कम नहीं है। न्यू भेड़ाघाट का यह नजारा धुआँधार जैसे ही खूबसूरत है लेकिन यहाँ फैली गंदगी सब चौपट कर जाती है।


source https://www.bhaskar.com/local/mp/jabalpur/news/cleanliness-cry-in-tourist-places-like-new-bhedaghat-forget-this-part-of-beauty-128110777.html

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