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कोरोना से ठीक हुए पांच मरीजों को हुआ जीबी सिंड्रोम, इसमें शरीर के खिलाफ ही काम करने लगती है एंटीबॉडी

कोरोना के संक्रमण से स्वस्थ हुए मरीजों में सांस फूलने की तकलीफ के बाद अब जीबी (गिलैन बारे) सिंड्रोम के केस सामने आने लगे हैं। बीते तीन महीने में भोपाल में जीबी सिंड्रोम के 5 मरीज मिले हैं, जिनमें से 4 स्वस्थ हो गए हैं, जबकि एक अब भी अस्पताल में भर्ती है। ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस (एम्स) भोपाल के डिपार्टमेंट ऑफ न्यूरोलॉजी के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. नीरेंद्र राय ने बताया कि पिछले 3 महीने में कोरोना से ठीक हुए दो मरीज जीबी सिंड्रोम के लक्षणों के साथ अस्पताल में भर्ती हुए थे।

दोनों का आईवीआईजी इंजेक्शन देकर इलाज किया। करीब एक महीने बाद दोनों की अस्पताल से छुट्‌टी की गई। डॉ. राय ने बताया कि दूसरे प्रकार के वायरल और बैक्टीरियल इनफेक्शन के बाद जीबी सिंड्रोम के केस पहले भी मिलते थे, लेकिन कोरोना के स्वस्थ हुए मरीज में जीबी सिंड्रोम पहली बार मिला है। बंसल हॉस्पिटल के पल्मोनरी मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. अश्विनी मेल्होत्रा ने बताया कि अस्पताल में पिछने 3 महीने में कोरोना से ठीक हुए 2 मरीज जीबी सिंड्रोम के भर्ती हुए थे। दोनों के स्वस्थ होने पर उनकी छुट्‌टी कर दी गई।

डाॅ. राय ने बताया कि वायरस या बैक्टीरिया के संक्रमण के बाद शरीर में बनी एंटी बॉडी, संबंधित वायरस के प्रोटीन से मिलती-जुलती नर्व के प्रोटीन पर आक्रमण कर देती है। बाहरी बैक्टीरिया व वायरस संक्रमण को रोकने के लिए उनके खिलाफ बनी एंटीबॉडी शरीर के खिलाफ ही काम करने लगती है। दो सप्ताह के भीतर इससे पीड़ित मरीज लकवाग्रस्त हो जाता है।

जीबी सिंड्रोम के लक्षण

लापरवाही न करें... क्योंकि इस बीमारी में मरीज के गर्दन के नीचे का हिस्सा कुछ ही दिन में लकवाग्रस्त हो जाता है

1. पैरों में हुई तकलीफ, फिर हाथ और पैर होने लगे सुन्न
साकेत नगर में रहने वाले रामरतन (50) (परिवर्तित नाम) को बीते साल नवंबर के आखिरी सप्ताह में कोरोना हुआ था। इलाज के लिए वे नेशनल अस्पताल में भर्ती हुए। दो सप्ताह में वे स्वस्थ हो गए। दिसंबर के आखिरी में उन्हें पैरों में कमजोरी और मूवमेंट में तकलीफ हुई। अगले 3 दिन में उनके हाथ और पैर सुन्न होने लगे। 3 जनवरी को इलाज के लिए सिद्दांता रेडक्रॉस हॉस्पिटल में भर्ती हुए। जांच में उन्हें जीबी सिंड्रोम बीमारी निकली।

2. कोरोना के बाद बनी एंटी बॉडी से हुई ये बीमारी
नवंबर दूसरे सप्ताह में रामेंद्र (56) (परिवर्तित नाम) हाथ-पैरों में झुनझुनी और लकवा के लक्षण के साथ बंसल हॉस्पिटल के न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट में भर्ती हुए। यहां उनकी रीढ़ की हड्डी से पानी निकालकर जांच कराई गई। इसमें उन्हें कोरोना के बाद शरीर में बनी एंटी बॉडी से जीबी सिंड्रोम होना बताया गया। उन्हें अगस्त में कोरोना हुआ था

3. जीबी सिंड्रोम में पैरों से गर्दन की ओर बढ़ता है लकवा
डॉ. मेल्होत्रा ने बताया कि जीबी सिंड्रोम में सबसे पहले मरीज के पैरों में कमजोरी आती है। दो से तीन दिन के भीतर पैरों के मूवमेंट में परेशानी होना शुरू हो जाती है। इसके बाद पैर में लकवे जैसा सुन्नपन और झुनझुनी शरीर के ऊपरी हिस्से की ओर बढ़ती है। उन्होंने बताया कि इस बीमारी में मरीज के गर्दन के नीचे का हिस्सा, कुछ ही दिन के भीतर लकवाग्रस्त हो जाता है।

4. एक लाख मरीजों में से एक को होता है जीबी सिंड्रोम
डॉ. राय के मुताबिक वायरस और बैक्टीरिया के संक्रमण वाले 1 लाख स्वस्थ मरीजों में से 1 में जीबी सिंड्रोम के लक्षण सामने आते हैं। शुरुआती स्टेज में ही इलाज से 80% मरीज पूरी तरह से स्वस्थ हो जाते हैं, जबकि 20% मरीजों की सांस लेने वाली मांस पेशियों में कमजोरी आ जाती है। इन्हें वेंटिलेटर पर शिफ्ट करना पड़ता है। इनमें से 5% की मौत हो जाती है।



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शुरुआती लक्षण- जीबी सिंड्रोम में सबसे पहले पैरों में आती है कमजोरी


source https://www.bhaskar.com/local/mp/bhopal/news/five-patients-recovering-from-corona-have-gb-syndrome-in-which-antibodies-start-working-against-the-body-itself-128103633.html

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