कोरोना और दवाओं के इस्तेमाल से आईसीयू में भर्ती 70 मरीजों को डायबिटीज, इनमें से 37% अब भी अस्वस्थ
कोविड के इलाज के दौरान मरीज डायबिटीज का शिकार हो रहे हैं। यानी जिन्हें संक्रमित होने से पहले शुगर की बीमारी नहीं थी, उनमें भी शुगर लेवल बढ़ने की शिकायतें मिल रही हैं। यह शोध है बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के टीबी एंड चेस्ट रोग विशेषज्ञ डॉ. तल्हा साद का।
डॉ. साद ने बीएमसी के कोविड आईसीयू में भर्ती होने वाले 487 मरीजों पर रिसर्च की। जिसमें उन्होंने पाया कि जिन मरीजों को पहले से ही शुगर और ब्लड प्रेशर की बीमारी है, उनके लिए तो कोविड खतरनाक है ही, लेकिन जिन्हें वार्ड में भर्ती होने से पहले डायबिटीज की शिकायत नहीं थी, वे भी इलाज के दौरान नए शुगर के मरीज बन रहे हैं। इसकी मुख्य वजह है कोविड के इलाज के दौरान बीटा सेल्स का टूटना और इस्तेमाल होने वाली ग्लूकोकॉर्टिकॉइड दवाओं का साइड इफेक्ट।
डॉ. साद ने शोध में बताया कि कोविड आईसीयू में भर्ती हुए जिन 487 मरीजों पर यह रिसर्च की गई है, उनमें 70 मरीज ऐसे थे, जिन्हें पहले कभी डायबिटीज की शिकायत नहीं थी। लेकिन कोरोना वायरस के संक्रमण से पैंक्रियास के बीटा सेल में खराबी आई और दवाओं के इस्तेमाल से ये शुगर के नए मरीज बने।
इनमें 4 मरीजों की मौत का एक कारण शुगर लेवल हाई होने भी था। वहीं स्वस्थ होकर डिस्चार्ज हुए 66 मरीजों में से 42 पूरी तरह से स्वस्थ हो गए। जबकि 3 माह बाद भी 24 मरीज ऐसे हैं, जिन्हें अब तक डायबिटीज की समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
इलाज के दौरान नए डायबिटीज के मरीज बनने के यह हैं मुख्य कारण
1. शोध में पाया गया है कि कोरोना वायरस पैंक्रियास के बीटा सेल्स को खराब कर देता है। बीटा सेल्स खराब होने से शरीर में इंसुलिन की मात्रा गड़बड़ा जाती है।
2.. दूसरी वजह है कोविड के इलाज में इस्तेमाल होने वाली ग्लूकोकॉर्टिकॉइड दवाएं। कोरोना के इलाज में अब तक ग्लूकोकॉर्टिकॉइड दवाएं ही कारगर साबित हो रही हैं। लेकिन इन दवाओं के साइड इफैक्ट के कारण शुगर लेवल बढ़ जाता है।
3. तीसरा कारण है तनाव। कोरोना से संक्रमित व्यक्ति बहुत अधिक तनाव में होता है। वहीं आईसीयू का वातावरण इस तनाव को और भी ज्यादा बढ़ा देता है। तनाव बढ़ना भी शुगर लेवल बढ़ने का एक महत्वपूर्ण कारण होता है।
ये हैं आईसीयू में भर्ती मरीजों के अलग-अलग मामले
डॉ. शुभम भी इलाज के दौरान डायबिटीज का शिकार
डॉ. साद ने जानकारी देते हुए बताया कि सागर ने जिस डॉक्टर को कोरोना के चलते खोया है। उनके साथ भी यही समस्या हुई। डॉ. शुभम उपाध्याय को पहले कभी डायबिटीज की शिकायत नहीं थी। लेकिन संक्रमित होने के बाद इलाज के दौरान अचानक उनका शुगर लेवल बढ़ गया। जिसके कारण फेफड़ों में संक्रमण इतनी तेजी से फैला कि डॉक्टर उसकी जान नहीं बचा सके।
कोरोना इलाज के दौरान शिक्षक को डायबिटीज
केंद्रीय विद्यालय के शिक्षक एक माह पहले पॉजिटिव हुए थे। वार्ड में भर्ती होते समय तक उन्हें डायबिटीज की शिकायत नहीं हुई। लेकिन ग्लूकोकॉर्टिकॉइड दवाओं के इस्तेमाल से उनका शुगर लेवल बढ़ गया। हालांकि अच्छी बात यह रही कि वे कोरोना की इस लड़ाई में जीते और आईसीयू के बाहर निकल आए। वहीं स्वस्थ्य होने के बाद उनका शुगर लेवल भी सामान्य हो गया।
छतरपुर के मरीज को भी निकली डायबिटीज
छतरपुर निवासी 55 वर्षीय मरीज ढाई माह पहले कोरोना संक्रमित हुए थे। जिन्हें छतरपुर से गंभीर स्थिति में बीएमसी रैफर किया गया था। इनकी हिस्ट्री में शुगर की बीमारी नहीं थी, लेकिन आईसीयू में इन्हें शुगर के मरीज की श्रेणी में पाया गया। इलाज के बाद ये कोरोना वायरस के संक्रमण से तो बच गए, लेकिन अभी भी इन्हें डायबिटीज की बीमारी है।
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source https://www.bhaskar.com/local/mp/sagar/news/70-patients-admitted-to-icu-using-corona-and-drugs-for-diabetes-37-of-them-still-unwell-128108039.html
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