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नुकसान का शीघ्र-अतिशीघ्र सर्वे कर किसानों को मुआवजा राशि वितरित करें-पूर्व कैबिनेट मंत्री अर्चना दीदी

बुरहानपुर 【राजुसिह राठौड 9424525101】 मध्यप्रदेश की पूर्व कैबिनेट मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस (दीदी) ने बुरहानपुर कलेक्टर को से चर्चा एवं पत्र के माध्यम से आरबीसी 6-4 के अंतर्गत केले की फसल पर प्राकृतिक आपदा आने के कारण शीघ्रता-शीघ्र सर्वे एवं मुआवजा राशि वितरण करने की बात कही।

पूर्व श्रीमती अर्चना चिटनिस ने कहा कि हमारे बुरहानपुर जिले में केला एक मुख्य फसल है, 31 मई 2020 को बुरहानपुर जिले के नेपानगर विधानसभा क्षेत्र के रतागढ़, बीड़, नावरा, सीवल, डाबिया, नसीराबाद, सिरपुर एवं नेपानगर ग्रामीण क्षेत्र में अंघड़ एवं तेज हवा आंधी तूफान की वजह से लगभग एक लाख केले के फलदार पौधों का नुकसान हुआ है। इसका शीघ्रता-शीघ्र ठीक तरीके से सर्वे होकर मुआवजा राशि तत्काल दी जाए। श्रीमती चिटनिस ने कहा कि अंघड़ आने की वजह से कुछ पौधे तो पूर्ण रूप से टूटकर जमीन पर गिर जाते है लेकिन कुछ पौधे जड़ों के टूट जाने के बावजूद भी 100 प्रतिशत क्षतिग्रस्त होकर खड़े रहते है। अतः सर्वे करने वाली टीम को स्पष्ट निर्देश दिया जाए कि ऐसे पौधों को भी क्षतिग्रस्त माना जाए, इस प्रकार का सर्वे करने पर ही हम किसान के साथ न्याय कर पाएंगे। 
श्रीमती चिटनिस ने कहा कि हमारे किसान भाईयों का इस वर्ष देशभर में लॉकडाउन एवं बुरहानपुर में कर्फ्यू होने की वजह से पहले ही बहुत नुकसान हो चुका है। गत वर्ष इस समयावधि में केले का भाव लगभग 1500 से 2000 रूपए प्रति क्विंटल था, वह इस वर्ष केवल औसत 300 रूपए प्रति क्विंटल के आसपास है। किसान को अपना केला मजबूरी में बेचना पड़ रहा है, साथ ही ऊपर से यह प्राकृतिक आपदा आ गई है। 
  प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत किसान भाईयों के खातों में पैसे आना प्रारंभ हो चुके हैं और जिनके खातों में पैसे नहीं आए हैं वह भी बहुत जल्दी आ जाएंगे परंतु किसान को अपनी खरीफ मौसम की फसल को लगाने के लिए पैसों की जरूरत पड़ने वाली है। इस हेतु शीघ्रता-शीघ्र सर्वे करवाकर पीड़ित किसानों को मुआवजा राशि वितरित करें।

*प्रधानमंत्री फसल बीमा की राशि किसान की सहमति के बिना वसूली न करें*
इसी प्रकार श्रीमती अर्चना चिटनिस ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की राशि के संबंध में भी आवष्यक दिषा-निर्देष जारी करने की बात कही। श्रीमती चिटनिस ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा की राशि किसान की सहमति के बिना ही वसूली कर उसके ऋण खाते में जमा की जा रही है, जो कि सैद्धांतिक रूप से सरासर गलत है। कोई भी किसान अपनी फसल का बीमा मुसीबत का सामना करने के लिए कराता है ना कि ऋण खाते में जमा करने के लिए। 
  श्रीमती चिटनिस ने कहा कि देशभर में लॉकडाउन और अपने जिले में कर्फ्यू होने के कारण गत वर्ष इसी समयावधि में इसी गुणवत्ता के केले का औसत भाव लगभग 1500 रुपए प्रति क्विंटल था जो आज लगभग औसत 300 रूपए प्रति क्विंटल है। किसान अपनी रबी की फसल जैसे गेहूं, चना और मक्का अभी तक भी नही बेच पाया है। आगामी खरीफ की फसल लगाने की व्यवस्था करना एक अतिआवश्यक कार्य है। कोविड-19 के कारण बैंकों में आर्थिक लेनदेन प्रभावित हुआ है। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की राशि किसान की सहमति के बिना ऋण खातों में जमा ना करते हुए उनके बचत खाते में जमा करने हेतु बैंको को आदेशित करें। 

दिनांक:- 1 जून 2020
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