इंटरनेशनल डांस काउंसिल सीआईडी यूनेस्को के सदस्य और नेपानगर जागृति कला केंद्र के निदेशक मुकेश दरबार ने बताया कि इस वर्ष
बुरहानपुर (राजुसिह राठौड 9424525101)प्राचीन काल से ईश्वर की आराधना और मन की शांति के लिए किया जाता है नृत्य , साथ ही साथ शरीर को रोगों से दूर रखने के लिये भी नृत्यकला का प्रयोग किया जाता रहा है.
29 अप्रैल आज अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस है ….. कोरोना जैसी महामारी से आज हमारा हिंदुस्तानी नहीं बल्कि पूरा विश्व ग्रसित है…
यह पहला अवसर है जब पूरा विश्व अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस को आज सार्वजनिक रूप से नहीं बना पा रहा है…..
आइए आज हम अपने परिवार के साथ नृत्य करके इस खुशी के अवसर को और इस परंपरा को कायम रखें और कोरोना के संक्रमण को जिसने हमारे मन मस्तिष्क पर गहरा आघात किया है को भूलकर हम घर में ही रहकर नृत्य करके अपने परिवार में खुशियां बांटे……… एक निवेदन मुकेश दरबार की ओर से
इंटरनेशनल डांस काउंसिल सीआईडी यूनेस्को के सदस्य और नेपानगर जागृति कला केंद्र के निदेशक मुकेश दरबार ने बताया कि इस वर्ष मुंबई में 29 अप्रैल को अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस का भव्य आयोजन कोऑर्डिनेटर कलाश्री लता सुरेंद्र द्वारा मुंबई में होने जा रहा था किंतु कोरोना के संक्रमण के कारण उक्त आयोजन रद्द कर दिया गया है जिसमें देश और विदेश के नामी कलाकार अपनी प्रदेश की देश की संस्कृति को प्रस्तुत करने वाले थे जिसमें मैं स्वयं भी सहभागिता करने वाला था किंतु अब निर्णय लिया गया है कि व्हाट्सएप वीडियो के माध्यम से विश्व के सभी सदस्य कलाकारों को एक मंच पर लाकर कला का प्रदर्शन होगा जिसमें मेरे द्वारा भी एक छोटा सा वीडियो प्रदर्शन हेतु मांगा गया है जो आज प्रदर्शित होगा |
कब से हुई शुरुआत
अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस की शुरुआत 29 अप्रैल 1982 से हुई। यूनेस्को के अंतरराष्ट्रीय थिएटर इंस्टिट्यूट की अंतरराष्ट्रीय डांस कमेटी ने 29 अप्रैल को नृत्य दिवस के रूप में स्थापित किया। एक महान रिफॉर्मर जीन जार्ज नावेरे के जन्म की स्मृति में यह दिन अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस के रूप में मनाया जाता है ।
अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस को पूरे विश्व में मनाने का उद्देश्य जनसाधारण के बीच नृत्य की महत्ता का अलख जगाना था। साथ ही लोगों का ध्यान विश्वस्तर पर इस ओर आकर्षित करना था। जिससे लोगों में नृत्य के प्रति जागरुकता फैले। साथ ही इसे मनाने के पीछे एक वजह ये भी है कि, पूरी दुनिया में डांस की शिक्षा की उचित प्रणाली स्थापित हो।
प्राचीन काल से नृत्य का संबंध- ईश्वर की आराधना और मन की शांति के लिए किया जाता है नृत्य , साथ ही साथ शरीर को रोगों से दूर रखने के लिये नृत्यकला का प्रयोग किया जाता है. श्रीमदभागवत महापुराण, शिव पुराण में भी नृत्य का उल्लेख कई विवरणों में मिला है. रामायण और महाभारत में भी नृत्य का उल्लेख है. इस युग में आकर संगीत,नृत्य - नाट्य तीनों का विकास हो चुका था. आज भी हमारे समाज में नृत्य- संगीत को उतना ही महत्व दिया जाता है कि हमारे कोई भी समारोह नृत्य के बिना संपूर्ण नहीं होते. भरत के नाट्य शास्त्र के समय तक भारतीय समाज में कई प्रकार की कलाओं का पूर्ण रूप से विकास हो चुका था. इसके बाद संस्कृत के प्राचीन ग्रंथों जैसे कालिदास के शाकुंतलम- मेघदूतम, वात्स्यायन की कामसूत्र तथा मृच्छकटिकम आदि ग्रंथों में इन नृत्य का विवरण हमारी भारतीय संस्कृति की कलाप्रियता को दर्शाता है. भारत के विविध शास्त्रीय नृत्यों की अनवरत परंपराएँ हमारी इस सांस्कृतिक विरासत की धारा को लगातार पीढ़ी दर पीढ़ी प्रवाहित कर रही है .
भारत की आत्मा है नृत्य - भारत विविधताओं से भरा देश. भारत की संस्कृति जितनी ज्यादा रोचक है, उतनी दुनियां के किसी देश की नहीं है. विविधताओं से भरे हमारे देश का हर रंग निराला है. यहाँ की संस्कृति दुनिया की तमाम संस्कृतियों में सबसे ज्यादा उन्नत है. यहाँ की संस्कृति, यहाँ के धर्मं, खान-पान, रहन-सहन, जो सबसे ज्यादा अलग है, भारत में मनाये जाने वाले त्यौहार उत्सव या पर्व और इन उत्सवो और त्योहारों पर किये जाने वाले भारतीय नृत्य / लोक नृत्य जो भारत की संस्कृति को और अधिक रोचक बनाते है.
भारत एक ऐसा देश है, जहां सभी अवसरों पर विभिन्न प्रकार के नृत्य किये जाते है. पुरे भारत देश में बहुत समय पहले से उत्सव और त्योहारों पर नृत्य करने की परम्परा चली आ रही हैं. साथ ही भारत के प्रत्येक राज्य के अपने कुछ लोक नृत्य है. लोक नृत्य प्रदेश की संस्कृति को बयां करते है.
आइए हम अपने परिवार के साथ नृत्य करके खुशियां बांटे……… आपका मुकेश दरबार
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