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एक बार फिर बुरहानपुर से कई बीजेपी नेताओं ने इस्तीफे देकर भाजपा में हड़कंप मचा दिया है

 

बुरहानपुर {राजुसिह राठौड 9424525101}    नागरिकता संशोधन कानून को लेकर विपक्ष के साथ साथ भाजपा को अपनों की नाराजगी भी भारी पड़ रही है। आए दिन बीजेपी नेता विरोध में एक के बाद एक इस्तीफे दे रहे है। खास करके मध्यप्रदेश में विरोध के स्वर तेजी से फूट रहे है। अबतक 700 से ज्यादा लोगों ने इस्तीफे दे दिए है।अब एक बार फिर बुरहानपुर से कई बीजेपी नेताओं ने इस्तीफे देकर भाजपा में हड़कंप मचा दिया है। हैरानी की बात ये है कि इस्तीफे उस समय दिए गए है जब संगठन में बड़ा बदलाव हुआ है। राकेश सिंह की जगह वीडी शर्मा को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई है।



दरअसल, NRC-CAA के विरोध में जहां देश भर में खुल कर इसका विरोध हो रहा है विपक्षी पार्टियों सहित आम जन महिलाएं भी बडी संख्या में इसके विरोध प्रदर्शन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रही है। अब CAA और NRC के विरोध में भाजपा के नेताओ ने अपने स्वर मुखर कर दिये हैं। मध्यप्रदेश में भी इसका जमकर विरोध में अल्पसंख्यक विभाग के नेता कार्यकर्ता गण बड़ी संख्या में इस्तीफे दे रहे है।इसी कड़ी में बुरहानपुर में भाजपा के अपल्पसंख्यक मोर्चे के प्रदेश उपाध्यक्ष शहजाद अख़्तर नगर मंडल अध्यक्ष नजीब अंसारी,पूर्व पार्षद-एमआईसी सदस्य अनीसद्दीन ,जिला उपाध्यक्ष असलम हकीम,अब्दुल रशीद,कलीम खान,सहित जीला बॉडी ने अपना इस्तीफा की आज घोषणा की जिसमे अल्पसंख्यक मोर्चे के जिलाध्यक्ष को छोड़ कर सभी ने अपने सामुहिक इस्तीफे की घोषणा पत्रकार वार्ता में की।



गौरतलब है कि बीते दिनों जबलपुर में अल्पसंख्यक मोर्चे के 700 नेताओं ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। इससे पहले भोपाल और इंदौर में भी इस तरह के सामूहिक इस्तीफे दिए जा चुके हैं।इंदौर, भोपाल, खरगोन, गुना और सतना जिले में जनवरी में कुल एक हज़ार के करीब भाजपा नेताओं ने इस्तीफा दे दिया था। इसमें पूर्व राज्य सचिव अकरम खान और भाजपा मीडिया सेल के प्रदेश प्रभारी जावेद बैग भी शामिल हैं। आने वाले दिनों में निकाय और उपचुनाव होने वाले है , ऐसे में अगर प्रदेश में भाजपा नेताओं के इस्तीफे का दौर जारी रहा तो पार्टी को पंचायत चुनाव में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। पार्टी हाईकमान फिलहाल इस्तीफों को गंभीरता से नहीं ले रहा है। अगर और भी जिलों में इस्तीफे हुए तो अल्पसंख्यक सेल पर संकट खड़ा हो सकता है। जिससे पार्टी को पंचायत चुनाव में हार का सामना करना पड़ सकता है।

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