श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव मनाया गया
श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव मनाया गया
खकनार
ग्राम पांगरी में चल रहे श्रीमद्भागवत महापुराण कथा के 4 दिवस पर कथा वाचक पयासी शास्त्री ने श्रीकृष्ण जन्म की लीला का मनोहारी वर्णन किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि राजा परीक्षित से शुकदेव कहते हैं, कि संसार का कल्याण करने के लिए भगवान अवतार लेते कि जब-जब धर्म की हानि होती है।
तब सज्जनों का कल्याण और राक्षसों का वध करने के लिए भगवान अवतार लेते हैं। इसके बाद शास्त्रीजी ने संगीतमयी चौपाइयों-जब-जब होई धर्म की हानि, बाढहि असुर अधम अभिमानी, तब-तब धरि प्रभु मनुज शरीरा, हरहि कृपा निज सज्जन पीरा आदि चौपाइयों से श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। साथ ही प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने जेल में वासुदेव के यहां अवतार लेकर संतो व भक्तों का सम्मान बढ़ाया। उन्होंने अपने अंदर बुराई विद्यामान न रहे इसके लिए संतों का सत्संग का मार्ग बताया।
भगवान श्रीराम की मर्यादा और श्रीकृष्ण को तब समझोगे जब राम मय बनो। जब भक्ति मार्ग में भक्त लीन रहता है तब प्रभु दर्शन होते हैं। अंत में कथा व्यास ने श्रीकृष्ण जन्म लीलाओं का वर्णन किया। भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के तमाम मार्मिक प्रसंग सुनाए।
जिससे स्त्रोता भावविभोर हो गए। इस मौके पर उदय नारायण दुबे आचार्य पंडित शुभम दुबे सहित ग्रामीण जन मौजूद थे
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